सरकार ने एलपीजी (LPG) गैस वितरण और सब्सिडी ट्रांसफर को इतना पारदर्शी और पुख्ता बना दिया है कि अब गलत लाभ उठाने वालों की खैर नहीं। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में बताया कि अब गैस कनेक्शन से जुड़ी हर प्रक्रिया इतनी डिजिटल और सख्त हो गई है कि केवल सही हकदारों तक ही सब्सिडी पहुंच रही है।
अब नहीं चलेंगे दो-दो गैस कनेक्शन: PAHAL योजना ने खोल दी पोल
PAHAL (Direct Benefit Transfer for LPG – DBTL) योजना जनवरी 2015 में शुरू हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था कि उपभोक्ताओं को बाजार मूल्य पर सिलेंडर मिले और सब्सिडी सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर हो। इस योजना के तहत जब उपभोक्ता सिलेंडर बुक करता है और उसका कैश मेमो बनता है, तभी एक SMS भी भेजा जाता है – जिससे उपभोक्ता को हर ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड मिल सके।


इस योजना की खास बात यह है कि इसने देशभर में 4.08 करोड़ फर्जी, डुप्लीकेट और निष्क्रिय कनेक्शन बंद करवा दिए। यानी अब कोई भी एक से ज्यादा गैस कनेक्शन लेकर सब्सिडी डकार नहीं सकता। हर एक ट्रांजेक्शन ट्रैक होता है और लाभ सीधे उसी व्यक्ति को मिलता है जो वाकई इसका हकदार है।
कैसे पकड़े जाते हैं फर्जी उपभोक्ता?
सरकार ने Common LPG Database Platform (CLDP) तैयार किया है, जिसमें आधार कार्ड, बैंक अकाउंट, राशन कार्ड जैसे डॉक्युमेंट्स से हर उपभोक्ता की पहचान वेरीफाई होती है। अगर किसी के नाम से दो कनेक्शन निकल आते हैं, तो डुप्लीकेट अपने-आप ब्लॉक हो जाते हैं।
Aadhaar Linking और Biometric से पक्की हुई पहचान
अब किसी को गैस सब्सिडी चाहिए, तो उसके लिए आधार नंबर लिंक होना अनिवार्य है। सिर्फ इतना ही नहीं, अब PMUY (प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना) और PAHAL योजना के सभी लाभार्थियों के लिए Biometric Aadhaar Authentication भी लागू कर दिया गया है।

1 जुलाई 2025 तक, 67% PMUY उपभोक्ताओं ने अपनी बॉयोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन प्रोसेस पूरी कर ली है। नए उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने से पहले ये प्रक्रिया जरूरी बना दी गई है ताकि सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहे।
DAC सिस्टम: अब बिना कोड के नहीं मिलेगा सिलेंडर
तेल विपणन कंपनियों (Oil Marketing Companies – OMCs) ने एक नई प्रणाली शुरू की है – Delivery Authentication Code (DAC)। जब उपभोक्ता गैस बुक करता है और डिलीवरी के लिए कैश मेमो जनरेट होता है, तो एक SMS के जरिए एक कोड भेजा जाता है।
ये कोड उपभोक्ता को डिलीवरी बॉय को देना होता है, तभी सिलेंडर मिलेगा। इसका फायदा यह है कि अब कोई भी फर्जी डिलीवरी नहीं कर सकता और न ही आपकी बुकिंग किसी और को ट्रांसफर की जा सकती है। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे LPG डिलीवरी फ्रॉड को रोकने में बहुत कारगर साबित हुआ है।
इनएक्टिव और फर्जी कनेक्शन की होगी छुट्टी
जनवरी 2025 में लागू की गई एक SOP (Standard Operating Procedure) के तहत सरकार ने उन कनेक्शनों की पहचान शुरू की जो लंबे समय से उपयोग में नहीं हैं। इस पहल के तहत अब तक लगभग 12,000 निष्क्रिय कनेक्शन हटाए जा चुके हैं।
इसके अलावा 8.49 लाख इनएलिजिबल (अयोग्य) PMUY लाभार्थियों के कनेक्शन भी बंद किए जा चुके हैं। यानी अब सरकार का पैसा गलत हाथों में नहीं जा रहा है।
क्या कहता है नियम-कानून?
LPG का वितरण Liquefied Petroleum Gas (Regulation of Supply and Distribution) Order, 2000 के तहत होता है। इसमें मार्केटिंग डिसिप्लिन गाइडलाइन्स भी शामिल हैं। अगर कोई डिस्ट्रीब्यूटर गड़बड़ी करता पाया गया, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाता है और जरूरत पड़ने पर उसका लाइसेंस भी कैंसिल किया जा सकता है।


आधार से ट्रांजेक्शन फेल? अब नहीं होगी कोई परेशानी
पहले बहुत से लोगों को सब्सिडी ट्रांसफर में समस्या आती थी क्योंकि उनका आधार या बैंक अकाउंट सही से लिंक नहीं होता था। लेकिन अब सरकार ने इस समस्या पर भी लगाम लगा दी है।
1 जुलाई 2025 तक, देशभर में 92.44% एक्टिव उपभोक्ताओं ने अपने खातों को आधार से लिंक कर लिया है। इसके अलावा 86.78% लाभार्थी ऐसे हैं जिनका DBTL ट्रांसफर पूरी तरह आधार-कॉम्प्लायंट हो चुका है। इससे सब्सिडी मिलने में कोई देरी नहीं होती और शिकायतें भी कम हो गई हैं।
इतना बड़ा नेटवर्क और फिर भी इतनी कम शिकायतें!
वित्त वर्ष 2024–25 में पूरे देश में लगभग 194 करोड़ सिलेंडरों की डिलीवरी हुई। इसमें केवल 0.08% केस में शिकायत दर्ज की गई, वो भी ज्यादातर सब्सिडी या डिलीवरी में थोड़ी देर से जुड़ी हुई। इसका मतलब है कि LPG डिलीवरी सिस्टम आज भारत में सबसे कुशल और पारदर्शी सेवाओं में से एक है।
आपके गांव तक पहुंचा डिजिटल भारत: SMS, IVRS से बुकिंग इतनी आसान
सरकार ने देश के हर कोने में एक समान बुकिंग प्रणाली शुरू कर दी है। अब आप SMS या IVRS कॉल के जरिए देश के किसी भी हिस्से से गैस सिलेंडर बुक कर सकते हैं। किसी को वेबसाइट पर जाना जरूरी नहीं, बस एक मैसेज भेजिए और बुकिंग हो गई!
इससे उन लोगों को बहुत राहत मिली है जो स्मार्टफोन या इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते। खासकर ग्रामीण और कम साक्षर वर्ग के लिए ये सुविधा वरदान साबित हो रही है।
तो क्या अब सब्सिडी सिस्टम पूरी तरह फुलप्रूफ है?
देखा जाए तो हां! आज का LPG सब्सिडी सिस्टम तकनीक, पारदर्शिता और जवाबदेही के तीन मजबूत स्तंभों पर खड़ा है। आधार, बैंक, मोबाइल नंबर – तीनों की तिकड़ी ने ऐसा सिस्टम बना दिया है जहां कोई भी गलत फायदा नहीं उठा सकता।
श्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने बयान में साफ कहा कि LPG से जुड़ी शिकायतों का समाधान तेजी से किया जा रहा है और लगातार सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव मिल सके।
आपकी गैस, आपका हक – अब कोई नहीं छीन सकता!
सरकार की LPG वितरण प्रणाली ने एक मिसाल कायम कर दी है। फर्जीवाड़ा रोका गया, पारदर्शिता बढ़ी, और आम जनता को सीधा फायदा पहुंचा। अब न तो बिचौलियों की जरूरत है और न ही अफसरों के चक्कर लगाने की – गैस भी आपके घर आ रही है और सब्सिडी भी आपके खाते में।
इसलिए अगली बार जब आप सिलेंडर बुक करें, तो इस मजबूत सिस्टम का भरोसा रखिए – क्योंकि अब LPG सिर्फ रसोई नहीं, भरोसे की भी पहचान बन चुकी है।

